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मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं. मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है! मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं....... कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी... कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी.... मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं... मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं... मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी... बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं... मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी... लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं!आप मुझे nksheoran@gmail.com पर ईमेल से सन्देश भेज सकते हैं.+919812335234,+919812794323

Saturday, August 4, 2012

कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा

हम डरते नहीं एटम बम्ब, विस्फोटक जलपोतो से
हम डरते है ताशकंद और शिमला जैसे समझोतों से
सियार भेडिए से डर सकती सिंहो की औलाद नहीं
भरत वंश के इस पानी की है तुमको पहचान नहीं
भीख में लेकर एटम बम्ब को तुम किस बात पे फूल गए
६५, ७१ और ९९ के युधो को शायद तुम भूल गए
तुम याद करो खेतरपाल ने पेटन टैंक जला डाला
गुरु गोबिंद के बाज शेखो ने अमरीकी जेट उड़ा डाला
तुम याद करो गाजी का बेडा एक झटके में ही डूबा दिया
ढाका के जनरल नियाजी को दुद्ध छटी को पिला दिया
तुम याद करो उन ९०००० बंदी पाक जवानो को
तुम याद करो शिमला समझोता और भारत के एहसानों को
पाकिस्तान ये कान खोलकर सुन ले
की अबके जंग छिड़ी तो सुन ले
नमो निशान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा

लाल कर दिया तुमने लहू से श्रीनगर की घाटी को
किस गफलत में छेड़ रहे तुम सोई हल्दी घाटी को
जहर पिला कर मजहब का इन कश्मीरी परवानो को
भय और लालच दिखला कर भेज रहे तुम नादानों को
खुले पर्शिक्षण है खुले शस्त्र है, खुली हुई नादानी है
सारी दुनिया जान चुकी ये हरकत पाकिस्तानी है
बहुत हो चुकी मक्कारी, बस बहुत हो चूका हस्ताक्षेप
समझा दो उनका वरना भभक उठे गा पूरा देश
हिन्दू अगर हो गया खड़ा तो त्राहि त्राहि मच जाएगी
पाकिस्तान के हर कोने में महाप्रलय आजायेगी
क्या होगा अंजाम तुम्हे इसका अनुमान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा

ये मिसाइल ये एटम बम्ब पर हिम्मत कोन दिखायगा
इन्हें चलाने जन्नत से क्या बाप तुम्हारा आएगा
अबकी चिंता मत कर चहरे का खोल बदल देंगे
इतिहास की क्या हस्ती है सारा भूगोल बदल देंगे
धारा हर मोड़ बदल कर लाहौर से निकलेगी गंगा
इस्लामाबाद की छाती पर लहराएगा तिरंगा
रावलपिंडी और करांची तक सब गारत हो जाएगा
सिन्धु नदी के आर पार सब भारत हो जाएगा
फिर सदियों सदियों तक जिन्नाह जैसा शेतान नहीं होगा
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा

हिन्दू-स्थान ने ली अब एक नई अंगड़ाई है
भारत माँ के चरणों में ये सोगंध हमने खायी है
आज नहीं तो कल हम अखंड भारत बनायेंगे
सिन्धु को फिर दुबारा गंगा से मिलाएँगे
बंग भंग हुआ था, पाप एक इस धरती पर
दुर्गा की भूमि को पुनः आजाद कराएँगे
खैबर पास और हिन्दुकुश भारत की सीमा होगी
चंहु ओर सनातन और केसरिये की जय जय कर होगी
ये स्वपन एक दिन जरुर साकार होगा
पर उस दिन कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा

। । भारत माता की जय। ।
। । अखंड भारत की जय। ।

Wednesday, July 18, 2012

जो धरती से अम्बर जोड़े.... उसका नाम मोहब्बत है.......

अभी चलना है रस्ते को मैं मंजिल मान लुं कैसे?
मसीहा दिल को अपनी जिद का कातिल मान लुं कैसे?
तुम्हारी याद के आदिम अंधेरे मुझको घेरे है,
तुम्हारे बिन जो बीते दिन उन्हें दिन मान लुं कैसे ?

मैं उसका हूँ..वो इस अहसास से इनकार करता है..
भरी महफिल में भी रुसवा..मुझे हर बार करता है..
यकीं है सारी दुनियाँ को..खफा है मुझसे वो लेकिन..
मुझे मालूम है फिर भी..मुझी से प्यार करता है... 

बदलने को तो इन आँखो के मंजर कम नहीं बदले..
तुम्हारी याद के मौसम ..हमारे गम नहीं बदले..
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी..तब तो मानोगी.
जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले।

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ!!

पनाहों में जो आया हो,तो उस पर वार क्या करना?
जो दिल हारा हुआ हो,उस पे फिर अधिकार क्या करना?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई,तो दरिया पार क्या करना? 

जो धरती से अम्बर जोड़े,उसका नाम मोहब्बत है,
जो शीशे से पत्थर तोड़े,उसका नाम मोहब्बत है,
कतरा कतरा सागर तक तो,जाती है हर उमर मगर,
बहता दरिया वापस मोड़े,उसका नाम मोहब्बत है. 

बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नही पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया यूँ प्यार का क़िस्सा
कभी तुम सुन नही पाई कभी मै कह नही पाया...

मै जब भी तेज़ चलता हूँ नज़ारे छूट जाते हैं
कोई जब रूप गढ़ता हूँ तो साँचे टूट जाते हैं
मै रोता हूँ तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं
मैं हँसता हूँ तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं...

Monday, July 9, 2012

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है........


बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नही पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया यूँ प्यार का क़िस्सा
कभी तुम सुन नही पाई कभी मै कह नही पाया

***

मै जब भी तेज़ चलता हूँ नज़ारे छूट जाते हैं
कोई जब रूप गढ़ता हूँ तो साँचे टूट जाते हैं
मै रोता हूँ तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं
मैं हँसता हूँ तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं


***

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है


***
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहा सब लोग कहते है मेरी आँखों में आँसू है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है


***
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है.
***
जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उमर मगर ,बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है .
***
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?
***
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.
***

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

एक बार कर के ऐतबार लिख दो,
कितना है मुझसे प्यार लिख दो,

कटती नहीं ये ज़िन्दगी अब तेरे बिन,
कितना करू और इंतज़ार लिख दो,

तरसते रहे है बड़ी मुद्दत से,
इस बार अपनी मोहब्बत का इज़हार लिख दो,

ज्यादा नहीं लिख सकते तो मत लिखो तुम,
मोहब्बत भरे लफ्ज़ दो चार लिख दो,

एक बार लिखो मोहब्बत है मुझे तुमसे,
फिर यही जुमला बार बार लिख दो।

Monday, February 13, 2012

वेलेंटाईन दिवस - दिल तो दिल है, दिल का ऐतबार क्या क्या कीजै


देश एक बार फिर वेलेंटाइन दिवस के चपेटे में है!
वेलेंटाइन-बुखार में जकड़ गया है देश
लैला सा पागलपना,मजनू जैसा भेस,
मजनू जैसा भेस कि सब बौराये हुये हैं
प्रेम,प्यार, स्नेह,खुमारी मे लिपटाये हुये हैं,
कह ‘अनूप’ सब मिलि चक्कर ऐसि चलाइन,
देश के सब प्रेमी भू्ल गये बस याद रहे वेलेंटाइन!
चारों तरफ़ वातावरण वेलेंटाइन मय हो रहा है। हवाऒं में सरसराहट बढ़ गयी है। स्पेशल आर्डर देकर देश में इंद्र भगवान से पानी का छिड़काव करवाया गया है। फसलें पानी में भीग-भीग कर इतनी इतनी खुश हो गयीं हैं कि खुशी के मारे जमीन में लोट-पोट हो रही हैं। वी आई पी इलाकों में ऒले भी गिरवाये गयें। चारों तरफ़ फूलों से हंसते रहने के लिये बोल दिया गया है। कलियां से मुस्कराने को कहा गया है। भौंरों से कहा गया है कि कलियों पर मंडरायें लेकिन जरा तमीज़ से! सारा तमाशा होगा लेकिन कायदे से। सारा काम प्रोटोकाल के हिसाब से होगा।
आनंद पर अनुशासन की निगाह रहेगी। ये नहीं कि भौंरा किसी झरते हुये फूल पर अलसाया सा बैठा है और उधर कोई कली अपने सौंन्दर्य पर खुद ही रीझते हुये खीझ रही है। हर एक से उसके पद की गरिमा के अनुरूप आचरण होगा। हां,तितलियों को आजादी है कि वे जिसके ऊपर चाहें -मंडरायें।
आनंद पर अनुशासन की निगाह रहेगी। ये नहीं कि भौंरा किसी झरते हुये फूल पर अलसाया सा बैठा है और उधर कोई कली अपने सौंन्दर्य पर खुद ही रीझते हुये खीझ रही है। हर एक से उसके पद की गरिमा के अनुरूप आचरण होगा। हां,तितलियों को आजादी है कि वे जिसके ऊपर चाहें -मंडरायें। फूल, कली, भौंरा किसी के भी चारों तरफ़ चक्कर लगायें। तितलियां बगीचे की ‘बार- बालायें’ होती हैं वे कहीं भी आ-जा सकती हैं।
कहते हैं कि वेलेंटाइन दिवस संत वेलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। उनके समय में सैनिकों के शादी करने पर रोक थी लेकिन संत वेलेंटाइन उनकी शादी चोरी-छिपे करा देते थे। एक बार शादी करवाते राजा ने उनको पकड़ लिया और उनकी बरबादी हो गयी। १४ फरवरी के ही दिन उनका फांसी पर लटकाया गया इसलिये यह दिन उनके नाम पर मनाया जाता है।
सन्त वेलेंटाइन मरे १४वीं सदी में और उनके नाम का दिन मनाना शुरू हुआ १७ वीं सदी से। भारत में तो पिछ्ले आठ-दस साल में शुरू हुआ। हाय, बताओ हमारे देश के लोग छह सौ साल गफलत में पड़े रहे। दुनिया से हम तीन सौ साल पीछे हो गये। तीन सौ साल दुनिया वालों ने ज्यादा प्रेम कर लिया और हम भुक्क बने ताकते रहे। लगता है प्रेम हो या तकनीक हर मामले में पिछड़ जाना हमारी नियति है।
लोग पूछते हैं प्रेम के लिये हम संत वेलेंटाइन का मुंह काहे ताकते हैं। वे खुद तो सीधे प्रेम करते नहीं थे। प्रेम करने वालों को मिलवाते थे। मध्यस्थ थे। इसके मुकाबले हम कॄष्ण को काहे नहीं पूजते हैं जो खुद प्रेम के प्रतीक थे। कृष्ण तो वेलेंटाइन से पहले की पैदाइश हैं, सीनियारिटी के लिहाज से भी उनका हक बनता है प्रेम दिवस पर। वे सौन्दर्य के भी प्रतीक हैं , प्रेम के भी, दोस्ती की मिसाल भी है उनकी, महाभारत के अप्रत्यक्ष सूत्रधार भी। जब-जब भारत में धर्म की जरा सी भी हानि हुयी, फट से आकर धर्म की स्थापना कर दी। हर मामले में वेलेंटाइन से बीस। फिर भी ये प्रेम दिवस उनके हाथ से फिसलकर वेलेंटाइन की गोद में कैसे जा गिरा। हम कैसे उनको छोड़कर वेलेंटाइन के खेमें में आ गये?
हम कहते हैं भैये ये ‘करनेवाले‘ और ‘करवाने वाले’ का अंतर है। कॄष्ण सारे काम खुद करते थे। जबकि वेलेंटाइनजी काम करवाते थे। कॄष्ण प्रेम करते थे, वेलेंटाइनजी प्रेम करवाते थे। कॄष्ण ने सोलह हजार शादियां खुद कीं जबकि वेलेंटाइनजी अपनी तो एक भी नहीं की और जो शादियां करायी उनकी संख्या कहो चार अंकों तक भी न पहुंची हो। इसके बावजूद हमारे यहां ‘प्रेम दिवस’ कॄष्णजी के नाम पर न रखकर वेलेंटाइन जी के नाम पर रखा जाता है तो इसका कारण सिर्फ और सिर्फ एक है वह यह कि अपने देश में करने वाले से करवाने वाला हमेशा बड़ा होता है।
चारों तरफ़ फूलों से हंसते रहने के लिये बोल दिया गया है। कलियां से मुस्कराने को कहा गया है। भौंरों से कहा गया है कि कलियों पर मंडरायें लेकिन जरा तमीज़ से!
फिर जो ‘ग्रेस’ वेलेंटाइन की दुग्ध धवल दाढ़ी है वह भला कृष्ण की दुध मुंही तस्वीर में कहां। हम अपने नायकों को अपनी मर्जी के सांचे में ढाल कर पूजते रहने के आदी हैं। कॄष्ण को देश कभी घुट्नों से ऊपर उठने की नहीं देता। ‘किलकत कान्ह घुटुरुवन आवत’ और ‘मोर मुकुट, कटि काछनी,कर मुरली उर वैजंती माल’से ज्यादा जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाती कॄष्णजी को। उनको चिर-नाबालिग या फिर सजावट का सामान बना रखा है उनके भक्तों ने!
यह दुनिया जानती है कि वेलेंटाइन दिवस का प्रेम से कोई लेना-देना नहीं है। यह वेलेंटाइन दिवस नहीं उपहार दिवस’ है। ‘बाजार दिवस’ है। यह ‘वेलेंटाइन डे’ नहीं ‘मार्केट डे’ है। क्या बात है कि आप अपना प्रेम प्रदर्शित करने के लिये कार्डों के मोहताज हो जाते हैं! कार्ड नहीं तो प्रेम नहीं । ग्रीटिंग कार्ड वह सुरंग हो गयी है जिससे होकर ही दिल के किले पर फतह हासिल हो सकती है।
प्रेम के लिये केवल एक दिन रखना प्रेमियों के साथ निहायत नाइंसाफ़ी है। लेकिन लोग इसी में राजी हैं तो कोई क्या कर सकता है। लोग इसी दिन अपना प्रेम दिखा कर छुट्टी कर लेना चाहते हैं।

प्रेमिका को सिस्टर बता गए: हास्य कविता

अब क्या बताए जब से हमारे एक दोस्त नेता हुए हैं एक नंबर के झुठे हो गए है. एक समय था जब भाई शर्मा जो आजकल लोकल एमएलए की चापलूसी करके अपनी पार्टी का नया प्रत्याशी बना है वह कभी स्कूल में हरीशचंद का रोल करता था नाटक में. लेकिन आज तो उसने झुठ बोलने में मिसेज कौशिश की लवली बहू का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है.


अभी कल ही की बात है जनाब हमारे साथ घूम रहे थे कि इतने मॆं एक मोहतरमा आई और उन्हें नमस्ते करके चली गई. पूछने पर बोले मुहंबोली बहन है. लेकिन हम तो जानते थे भैया मैटर कुछ और है. अब उनकी इस स्थिति पर हमें प्रसिद्ध कवि हास्य कवि काका हाथरसी की एक कविता याद आई है जिसे मैं यहां दे रहा हूं.



हास्य कवि हाथरसी की प्रेमिका को सिस्टर बता गए:



सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए।
टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये।



सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का।
डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये ।



अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर।
ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये ।



भूंखो के पेट देखकर नेताजी रो पडे ।
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये ।



जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा ।
मारी छलांग खाई से “आई“ में आ गये ।



करते रहो आलोचना देते रहो गाली
मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए ।



काका ने पूछा ‘साहब ये लेडी कौन है’
थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए।।

Sunday, January 1, 2012

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!


  • भगवान करे ये साल आपको रास आ जाये;
    जिसे आप चाहते हो, वो आपके पास आ जाये!
    आप नए साल में कुंवारे न रहे;
    आपका रिश्ता लेकर आपकी सास आ जाये!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

  • बीत गया जो साल, भूल जाए;
    बीत गया जो साल, भूल जाए;
    इस नए साल को गले लगाये!
    करते है दुआ हम रब से सर झुका के;
    इस साल के सारे सपने पूरे हो आपके!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

  • दस्तक दी, किसी ने कहा सपने लाया हूँ;
    खुश रहो आप हमेशा, इतनी दुआ लाया हूँ!
    नाम है मेरा एस सम एस,
    आपको `हैप्पी न्यू इयर` विश करने आया हूँ!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें! 

  • पुराना साल सबसे हो रहा है दूर;
    पुराना साल सबसे हो रहा है दूर!
    क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर;
    पुरानी यादें सोचकर उदास न हो तुम!
    नया साल आया है चलो...धूम मचाले, धूम मचाले धूम!  

  • एक - खूबसूरती!
    एक - ताजगी!
    एक - सपना!
    एक - सच्चाई!
    एक - कल्पना!
    एक - अहसास!
    एक - आस्था!
    एक - विश्वास!
    यही है एक अच्छे साल की शुरुआत!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें! 

  • नव वर्ष की पावन बेला में, है यही शुभ सन्देश;
    हर दिन आये आप के जीवन में, लेकर खुशियाँ विशेष!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!