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मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं. मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है! मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं....... कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी... कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी.... मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं... मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं... मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी... बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं... मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी... लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं!आप मुझे nksheoran@gmail.com पर ईमेल से सन्देश भेज सकते हैं.+919812335234,+919812794323

Friday, November 26, 2010

चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं...

चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं...

एक एरिया में भाई रहता है, चमन भाई.. अब उसके एरिया में जो भी लफ़ड़ा होता है तो पुलिस से पहले चमन भाई की अदालत में जाता है.

एक बार चमन भाई के एरिया में रेप हो जाता है और जिस ने काम बजाया होता है उसको पकड़ के चमन भाई के पास लेके जाते है. चमन भाई पहले तो बहुत शान्ति से स्टाईल में उससे बात करते है वो कुछ इस तरह से है.

चमन: क्या रे तेरे को मालूम नहीं ये अपुन का एरिया है??

मुजरीम: हाँ मालूम है ना भाई.

चमन: फ़िर कैसे हिम्मत किया रेप की मेरे एरिया मे?

मुजरीम: अब क्या बोलु भाई किस्मत खराब थी.

चमन: चल मेरे को सब सच सच बता क्या और कैसे हुवा

मुजरीम: अभी क्या ना इधर नाके पे अपुन पान खाने के लिये आया

चमन: फ़िर..

मुर्जिम: अपुन खड़े होके पान खारेला था और उतने में सामने वाली बिल्डींग पे अपुन की नज़र गई.

चमन: आगे बोल

मुजरीम: उधर तीसरी माले पे एक चिकनी खड़ी हुए थी

चमन: फ़िर क्या हुवा

मुजरीम: अपुन को ऐसा लगा के उसने इशारा किया आने के लिये

चमन: फ़िर तुने क्या किया

मुजरीम: अपुन सोचा के कुछ काम होएंगा उसको. अपुन बिल्डींग के नीचे गया

चमन: फ़िर

मुजरीम: उसने इशारे से अपुन को उपर बोलाया.. अपुन सिड़ी चड़ते हुए सोच रहा था चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन: चल फ़टा फ़ट आगे बोल

मुजरीम: अपुन ने उसको जाके बोला क्या काम है? काईको इशारा किया अपुन को?

चमन: फ़िर

मुजरीम: फ़िर क्या भाई अपुन को उसने घर में अन्दर खींच लिया

चमन: फ़िर

मुजरीम: अपुन घर में तो चला गया लेकिन सोच रहा था के चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन: आगे बोल

मुजरीम: उसने अपुन का हाथ पकड़ लिया

चमन: अच्छा?

मुजरीम: सच्छी बोलता है भाई हाथ पकड़ते ही अपुन फ़िर सोचा चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन : फ़िर क्या हुवा

मुजरीम: फ़िर क्या था उसने बोला चिकने मेरी प्यास बुझा दे

चमन: फ़िर तु क्या बोला (जोश में आकर)

मुजरीम: अपुन क्या बोलता? उसने अप्ना दुपट्टा नीचे गिरा दिया

चमन: तो क्या हुवा..

मुजरीम: अपुन के दिमाग की ढाइ हो गई क्या बॉडी थी साली की... लेकिन भाई फ़िर भी अपुन सोचा चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन: फ़िर तुने क्या किया

मुजरीम: अपुन बोला एकाद किस करेगा और चला जायेगा. बोले तो बॉडी काम करेंगा लेकिन इन्जन नहीं खोलने का

चमन: तो फ़िर

मुजरीम: उसने अपुन को खीच लिया सच्ची बोला है भाई ऐसी कातिल जवानी अपुन अक्खी लाइफ़ में नहीं देखा

चमन: हाँ वो तो है तो आगे बोल (गर्म होते हुए)

मुजरीम: फ़िर क्या था अपुन ने किस किया, लेकिन इमान से बोलता है सोच रहा था चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन : आगे बोल

मुजरीम: फ़िर उसने अपनी कमीज़ उतार दी

चमन: फ़िर

मुजरीम : फ़िर सलवार. लेकिन अपुन के दिल में एक ही खयाल आ रहा था चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन: आगे आगे

मुजरीम: फ़िर बिलाउस और चड्डी साली ने सब उतार दी

चमन : सही में. फ़िर

मुजरीम: फ़िर मेरी पेन्ट खीच ली

चमन : अच्छा. फ़िर फ़िर

मुजरीम: मेरी अंडरवीयर में हाथ डाल दिया

चमन: ओह! फ़िर, फ़िर, फ़िर

मुजरीम: चड्डी उतार दी मेरी लेकिन अपुन फ़िर भी सोचा चमन भाई का एरिया है लफ़ड़ा नहीं करने का

चमन : (गुस्सा होते हुए) अरे चमन गया माँ चुदाने तु आगे बोल.

मुजरीम : यही सोच के तो मैने रेप कर डाला.

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