पुराने ज़माने की बात है ....तब आज की तरह पानी के लिए नल और बोरिंग जैसी सुविधा नही थी ....सिर पर कई घड़ों का भार लिए स्त्रियाँ कई किलोमीटर दूर तक जा कर कुओं या बावडियों से पानी भार कर लाती थी
एक बार इसी तरह तीन महिलाएं घर की जरुरत के लिए पानी भार कर ला रही थी ...
तीनों ने आपस में बातचीत प्रारम्भ की ...
पहली महिला ने कहा ..." मेरा पुत्र बहुत बड़ा विद्वान् है ....शास्त्रों का विषद ज्ञान रखता है ...आज तक कोई भी उसे शास्त्रार्थ में नही हरा सका है ....."
दूसरी महिला भी कहाँ पीछे रही ..." हाँ , बहन ...पुत्र यदि विद्वान् हो तो पूरा वंश गौरान्वित होता है ...मेरा पुत्र भी बहुत चतुर है ...व्यवसाय में उसका कोई सानी नही ....उसके व्यवसाय सँभालने के बाद व्यापार में बहुत प्रगति हुई है ..."
तीसरी महिला चुप ही रही ....
" क्यों बहन , तुम अपने पुत्र के बारे में कुछ नही कह रही ...उसकी योग्यता के बारे में भी तो हमें कुछ बताओ ..." दोनों गर्वोन्मत्त महिलाओं ने उससे कहा .....
" क्या कहूँ बहन , मेरा पुत्र बहुत ही साधारण युवक है ....अपनी शिक्षा के अलावा घर के काम काज में अपने पिता का हाथ बटाता है ...कभी कभी जंगल से लकडिया भी बीन कर लाता है ..."
सकुचाते हुए तीसरी महिला ने कहा ...
अभी वे थोड़ी दूर ही चली थी की दोनों महिलाओं के विद्वान् और चतुर पुत्र साथ जाते हुए रास्ते में मिल गए ...दोनों महिलाओं ने गदगद होते हुए अपने पुत्र का परिचय कराया ....बहुत विनम्रता से उन्होंने तीनो माताओं को प्रणाम किया और अपनी राह चले गए....
उन्होंने कुछ दूरी ही तय की ही थी कि अचानक तीसरी महिला का पुत्र वहां आ पहुँचा ...पास आने पर बहुत संकोच के साथ उस महिला ने अपने पुत्र का परिचय दिया ....
उस युवक ने सभी को विनम्रता से प्रणाम किया ....और बोला ...
" आप सभी माताएं इस तपती दुपहरी में इतनी दूरी तय कर आयी है ....लाईये , कुछ बोझ मैं भी बटा दू ..."
और उन महिलाओं के मना करते रहने के बावजूद उन सबसे एक एक पानी का घड़ा ले कर अपने सिर पर रख लिया ....
अब दोनों माताएं शर्मिंदा थी ...
" बहन , तुम तो कहती थी तुम्हारा पुत्र साधारण है ....हमारे विद्वान् पुत्र तो हमारे भार को अनदेखा कर चले गए ...मगर तुम्हारे पुत्र से तो न सिर्फ़ तुम्हारा...अपितु हमारा भार भी अपने कन्धों पर ले लिया ...बहन , तुम धन्य हो , तुम्हारा पुत्र तो अद्वितीय व असाधारण है...सपूत की माता कहलाने की सच्ची अधिकारिणी तो सिर्फ़ तुम ही हो ......"
साधारण में भी असाधारण मनुष्यों का दर्शन लाभ हमें यत्र तत्र होता ही है ...हम अपने जीवन में कितने सफल हैं ....सिर्फ़ यही मायने नही रखता .....हमारा जीवन दूसरों के लिए कितना मायने रखता है....यह अधिक महत्वपूर्ण है ......!!
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार ...किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार ...जीना इसी का नाम है .....
Tirchi nigaho se jab wo hame dekhte hai, Hum gabra ke aankhe jhuka lete hai, kyon milaye hum unki aankho se aankhe "Galib" Suna hai wo aankho se apna bana lete hai.....
About Me
- Naveen Sheoran
- मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं. मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है! मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं....... कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी... कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी.... मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं... मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं... मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी... बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं... मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी... लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं!आप मुझे nksheoran@gmail.com पर ईमेल से सन्देश भेज सकते हैं.+919812335234,+919812794323
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